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ज्ञानमाता फातिमा शेख जी का जन्मदिन जयंती :-
21 सितंबर
(21-9-1832----9-10-1900)
पहली मुस्लिम शिक्षिका
जिन्होंने क्रांतिसूर्य ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ मिलकर लड़कियों में डेढ़ सौ वर्ष पहले शिक्षा की मशाल जलाई
आज से लगभग 150 सालों तक भी शिक्षा बहुसंख्य लोगों तक नहीं पहुंच पाई थी जब विश्व आधुनिक शिक्षा में काफी आगे निकल चुका था लेकिन भारत में बहुसंख्य लोग शिक्षा से वंचित थे लडकियों की शिक्षा का तो पूछो मत क्या हाल था राष्ट्रपिता महात्मा ज्योतिबा फुले पूना (अब पुणे) में 1827 में पैदा हुए उन्होंने बहुजनों की दुर्गति को बहुत ही निकट से देखा था उन्हें पता था कि बहुजनों के इस पतन का कारण शिक्षा की कमी ही है इसी लिए वे चाहते थे कि बहुसंख्य लोगों के घरों तक शिक्षा का प्रचार प्रसार होना ही चाहिए विशेषतः वे लड़कियों के शिक्षा के जबरदस्त पक्षधर थे।
इसका आरंभ उन्होंने अपने घर से ही किया उन्होंने सबसे पहले अपनी जिवनसंगिनी क्रांतीज्योती सावित्रीआई को शिक्षित किया महात्मा ज्योतिबा ने अपनी जिवनसंगिनी को शिक्षित बनाकर अपने कार्य को और भी आगे ले जाने की तैयारियों में जुट गए यह बात उस समय के सनातनियों को बिलकुल भी पसंद नहीं आई उनका चारों ओर से घोर विरोध होने लगा महात्मा ज्योतिबा फिर भी अपने कार्य को मजबूती से करते रहे महात्मा जोतिबा नहीं माने तो उनके पिता गोविंदराव पर दबाव बनाया गया अंततः पिता को भी प्रस्थापित व्यवस्था के सामने विवश होना पड़ा मज़बूरी में महात्मा ज्योतिबा फुले को अपना घर छोड़ना पडा उनके एक दोस्त मियां उस्मान शेख पूना के गंज पेठ में रहते थे ।
उन्होंने महात्मा ज्योतिबा फुले को रहने के लिए अपना घर दिया यहीं महात्मा जोतिबा फुले ने-1848 में अपना पहला स्कूल शुरू किया मियां उस्मान शेख भी लड़कियों की शिक्षा के महत्व को समझते थे उनकी एक बहन ज्ञान माता फातिमा शेख थीं जिसे वे बहुत चाहते थे मियां उस्मान शेख ने अपनी बहन के दिल में शिक्षा के प्रति रुचि निर्माण की क्रांतीज्योती सावित्रीआई के साथ वह भी लिखना-पढ़ना सीखने लगीं बाद में उन्होंने शैक्षिक सनद प्राप्त की क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले ने लड़कियों के लिए कई स्कूल कायम किए क्रांतीज्योती सावित्रीआई और ज्ञानमाता फातिमा शेख ने वहां पढ़ाना शुरू किया वो जब भी रास्ते से गुजरतीं तो लोग उनकी हंसी उड़ाते और उन्हें पत्थर मारते दोनों इस ज्यादती को सहन करती रहीं लेकिन उन्होंने अपना काम बंद नहीं किया ज्ञान माता फातिमा शेख के जमाने में लड़कियों की शिक्षा में असंख्य रुकावटें थीं
ऐसे जमाने में उन्होंने स्वयं शिक्षा प्राप्त कि दूसरों को लिखना-पढ़ना सिखाया वे शिक्षा देने वाली पहली मुस्लिम महिला थीं जिनके पास शिक्षा की सनद थी ज्ञान माता फातिमा शेख ने लड़कियों की शिक्षा के लिए जो सेवाएं दीं उसे भुलाया नहीं जा सकता घर-घर जाना लोगों को शिक्षा की आवश्यकता समझाना लड़कियों को स्कूल भेजने के लिए उनके अभिभावकों की खुशामद करना ज्ञानमाता फातिमा शेख की आदत बन गई थी आखिर उनकी मेहनत रंग लाने लगी लोगों के विचारों में परिवर्तन आया वे अपनी घरों की लड़कियों को स्कूल भेजने लगे लड़कियों में भी शिक्षा के प्रति रूचि निर्माण होने लगी स्कूल में उनकी संख्या बढती गयी मुस्लिम लड़कियां भी खुशी-खुशी स्कूल जाने लगीं विपरीत परिस्थितियों में प्रस्थापित व्यवस्था के विरोध में जाकर शिक्षा के महान कार्य में महात्मा ज्योतिबा एवं क्रांतिज्योति सावित्रीआई फुले को मौलिकता के साथ सहयोग देने वाली एक वीर मानवतावादी शिक्षिका ज्ञान माता फातिमा शेख को दिल से सलाम!
ज्ञानमाता फातिमा शेख और मियां उस्मान शेख का नाम और काम सामाजिक क्रांति के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले क्रांतीज्योती सावित्रीबाई फूले के साथ न जोड़कर और उनके त्याग और समर्पण की भावना देश के लोगों से छिपाकर रखा जाना उनके प्रति अन्याय है जितना महत्व फूले का है उतना ही माता फातिमा शेख और मियां उस्मान शेख का है उनके त्याग को कुछ इतिहासकारों ने भूला दिया गया जो निंदनीय है मां फातिमा शेख अमर रहे ज्ञानमाता फातिमा शेख को दिल से सलाम उनके स्मृतियों को शत् शत् नमन प्रणाम।🌹🙏🌹
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