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महिला सशक्तिकरण के लिए इंपॉवर पिपुल की तीन दिवसीय कार्यशाला

अपडेट करने की तारीख: 1 दिस॰ 2023


नारी सशक्तिकरण के परिवर्तनकारी सफर को जारि रखते हुए, इंपॉवर पिपुल ने 21 नवंबर से 23 नवंबर, 2023 को यमुना नगर, हरियाणा में 3-दिवसीय संगठन विकास कार्यशाला के जरिए इसे एक अर्थपुर्ण अनुभव की तरफ मोड़ दिया है. आर्थिक दृष्टि से बदहाल और घरेलू दिक्कतों से जुझ रहीं महिलाओं को बिजनेस स्किल की ट्रेनिंग दी गई ताकि फिर से वे एक बार उठ खड़ी हों अपने पांवों पर और समाज को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दे सकें. ‘इंपॉवर पिपुल’ ने ‘नीदरलैंड एंबेसी’ के सहयोग से प्रोजेक्ट ‘SEAL’ (सामाजिक सशक्तिकरण-रोजगार-सहायता-नेतृत्व) के तहत इस तीन दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन प्रतापनगर में किया. वर्कशॉप में न केवल बिजनेस स्किल की ट्रेनिंग दी गई बल्किं किसी भी व्यवसाय को शुरु करने से पहले जरुरी संसाधनों के साथ उस माइंडसेट के विकास पर ख़ासतौर से ध्यान केंद्रित किया गया.

प्रोजेक्ट ‘SEAL’ का मुख्य स्लोगन और उद्देश्य है- "Of the Survivors, for the survivors and By the Survivors" यानि “सर्वाइवर का, सर्वाइवर के लिए, सर्वाइवर के व्दारा” यही कार्यशाला का भी उद्देश्य रहा. यानि महिलाओं का आपसी सहयोग से सामाजिक सशक्तिकरण, रोजगार, सहायता और नेतृत्व कौशल के माध्यम से सशक्त बनाना है. यह रिपोर्ट वर्कशॉप में प्रतिदिन होने वाली गतिविधियों और सशक्तिकरण के इस सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालती है.


पहला दिन : समुदाय से संबंध और संगठन की आवश्यकता-





"एक दूसरे के साथ, हर कदम पर मजबूती का अहसास!"- इस भावना के साथ 21 नवंबर, 2023 को सुबह 10:30 बजे कार्यशाला की शुरूआत हुई. उत्साहपुर्ण महौल में करनाल कॉडिनेटर राजबाला ने पंजीकरण प्रक्रिया को कुशलता से संभाला. वर्कशॉप की शुरुआत जिले के समंवयक दिलदार हुसैन ने गर्मजोशी से सभी आमंत्रित मेहमानों का वेलकम करते हुए किया. इंपॉवर पिपुल की अध्यक्ष डॉ. सावित्री सुब्रमण्यन और संस्थापक और सचिव मिस्टर शफीक आर खान ने अपनी उपस्थिति से इस मौके को गौरवांवित किया. इस दिन का विषय था- संगठन का विकास यानि ओडी प्रशिक्षण. जिसे मिसेज अम्रुता खरे और मिसेज राजबाला ने बेहतरीन ढ़ंग से संचालित किया। "सर्किल ऑफ ट्रस्ट" गतिविधि के साथ सत्र की शुरूआत हुई, जो एक महिला को दुसरी महिला के भरोसा और विश्वास के साथ जोड़ता है. इसके बाद, "नेम सर्किल" आइसब्रेकर के जरिए खेल-खेल में एक महिला को बाकि महिलाओं से परिचय कराया. "बिल्डिंग टूगेदर" गतिविधि के जरिए ‘एकता और सहयोग’ की शक्ति से पार्टिसिपेंटस का साक्षात्कार कराया गया. दोपहर 2:00 बजे एक छोटे से लंच ब्रेक के बाद ताजगी भरे माहौल में फिर से कार्यशाला शुरु हुई. "स्टोरी चेन" गतिविधि के जरिए प्रतिभागियों को अपनी व्यक्तिगत कहानियां को साझा करने और उनकी कल्पनाशीलता को कैसे उपयोगी बना सकते हैं इसके बारे में बताया गया. जिससे समूह में आपसी संबंध, परस्पर सहयोग और एकता की भावनाएं का विकास हुआ. वर्कशाप के पहले दिन की समाप्ति इंपॉवर पिपुल की एक स्ट्रेटेजिक बैठक के साथ समाप्त हुई, जिसमें संगठन से संबंधित मामले पर चर्चा की गईऔर पहले दिन की सफलताओं की समीक्षा हुई.



दूसरा दिन: सहानुभूति का अनावरण-

22 नवंबर की वर्कशॉप केंद्रित था संघठित मुद्दों की तरफ जिनसे हर महिला अपने घर और बाहर दो चार होती है. जिसमें यौन शोषण और घरेलू हिंसा के साथ ही जेंडर और नारीवादी दृष्टिकोण शामिल रहे. पंजीकरण के साथ 10:30 बजे कार्यशाला का प्रारंभ हुआ. 11:30 बजे से 1:30 बजे तक इंपॉवर पिपुल प्रेसिडंट डॉ. सावित्री सुब्रमण्यन और मिसेज अम्रुता खरे ने अपने-अपने सत्रों के साथ खुली चर्चाओं, व्यक्तिगत कहानियों के जरिए हिंसा को चिंहित करते हुए उनके प्रभावों पर विचार करने के लिए सभी प्रतिभागियों को मंच प्रदान किया. "STOP" शॉर्ट फिल्म के प्रस्तुति के जरिए घरेलू और यौन हिंसा पर प्रभावशाली चर्चा करने को प्रोत्साहित किया. लंच ब्रेक के बाद दोपहर 2:30 बजे, कार्यशाला में जेंडर और नारीवादी दृष्टिकोण पर सत्र को आगे बढ़ाया. जिसमें प्रतिभागीयों ने खुलकर चर्चा किया. साथ ही घरेलु दिक्कतों को चिंहित करने के लिए "तमन्ना" फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया. दूसरे दिन की कार्यशाला म्यूजिकल चेयर्स जैसी रोचक गतिविधियों और परियोजना सील की प्रगति की समीक्षा ई.पी. टीम की मीटिंग करने के साथ ही संपन्न हुई.





तीसरा दिन: ज्ञान और कौशल का विनियोजन:-

वर्कशॉप का तीसर दिन सुबह 9 बजे पंजीकरण के साथ शुरू हुआ, इंपॉवर पीपुल के संस्थापक और सचिव शफीक आर खान आज के मुख्य प्रशिक्षक रहे. बिजनेस करने के लिए जरुरी ज्ञान बढ़ाने के साथ ही कौशल विकास पर पुरा सत्र केंद्रित रहा. सत्र के विषयों में शामिल मैनेजमेंट, समझौता, संघर्ष और समाधान, नेटवर्किंग और प्रचार-प्रसार जैसे बिंदुओं पर बेसिक और महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं. आखिर में कार्यशाला की समीक्षा की गई, जिसमें ई.पी. टीम ने आपसी साझेदारी और सहयोगी वातावरण को जारी रखने के लिए अच्छी दलीलें प्रस्तुत कीं.






कार्यशाला के महत्वपुर्ण बिंदु-

1) विषयगत गतिविधियां- कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों के बीच विश्वास की मजबूत नींव जोड़ने के लिए विचारशील रूप से तैयार की गई कई खास गतिविधियाँ थीं. "एकता की शक्ति," म्युजिक्ल चेयर्स, और "टीम बिल्डिंग गेम्स" जैसी गतिविधियाँ आपसी सहयोग, विश्वास और संवाद कायम करने के लिए की गईं. ये गतिविधियाँ प्रतिभागियों को इंपॉवर करने के साथ ही स्व-अभिव्यक्ति और एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए की गईं.


2) ऐतिहासिक चुनाव- कार्यशाला के दौरान 150 से अधिक महिला प्रतिभागियों में से लोकतांत्रिक माध्यम से एक सात सदस्यी नेतृत्व समूह का गठन किया गया. यह मंडल सीबीओ समूह का नेतृत्व करेगा. यह इस कार्यशाला की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि रही. इस लोकतांत्रिक पहल ने सशक्तिकरण की राह में एक नई इबारत जोड़ी, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक सीबीओ सदस्य की आवाज सम्मान के साथ सुनी जाएगी.


3) सारांश- प्रोजेक्ट सील के द्वारा आयोजित ये तीन दिवसीय कार्यशाला की उपलब्धि मात्र संगठन का विकास या मात्र ज्ञान और कौशल निर्माण ही नहीं रहा, बल्किं यह अपनी खुली आंखों के सामने सामाजिक दिक्कतों से जूझ रहीं महिलाओं और बाकि सोसायटी के बीच एक सामूहिक साझेदारी और सशक्तिकरण का मजबूत पूल निर्मित होने की एतिहासिक घटना का हिस्सा बनने का पल था. कार्यशाला में प्रतिभागियों में उत्साहपुर्वक भाग लिया, सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में अपने विचार व्यक्त किए. इंपॉवर पिपुल की पहल पर सशक्तिकरण की ये गूंज जारी है, हरियाणा के यमुना नगर की ये कार्यशाला आशा, सहयोग और रचनात्मकता की बेमिसाल पेंटिग की शक्ल ले लेती है. सभी ने इस अवसर पर उम्मीद जाहिर कि, प्रोजेक्ट सील अपनी सफलता को प्राप्त कर लेगा- संघर्ष, आशा, शक्ति और परिवर्तन के एक-एक धागे को बुनते हुए.


 
 
 

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