2 दिसम्बर: गुलामी के खिलाफ प्रोजेक्ट सील के तहत चला जागरुकता अभियान
"दुनिया को अगर सभी के लिए बेहतर बनाना चाहते हैं, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के लिए, तो गुलामी को समाप्त करना आवश्यक है” - संयुक्त राष्ट्र
“गुलामी है एक अभिशाप, इसे करें हर हाल में समाप्त” … इस नारे के साथ यमुनानगर के गांव खिजरी में प्रोजेक्ट सील से जुडी ग्रामिण महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप ने अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस को संकल्प दिवस के रुप में मनाया. इस मौके पर आस पास की सभी महिलाओं ने गुलामी के खिलाफ अपने-अपने विचार खुलकर जाहिर किए.
ग्रामिण महिलाओं ने इस मौके पर अपने व्यक्तव्य में कहा कि, गुलामी आज भी हमारी दुनिया का बहुत बड़ा काला सच है. अपने यहां ब्राइड ट्रैफकिंग गुलामी का एक बड़ा चेहरा है. क्योंकि शादी के नाम पर औरतों और बच्चियों की ख़रीद फ़रोख्त होती है और उन्हें एक ऐसे गहरे दलदल में धकेल दिया जाता है जहां वे खुद को एक इंसान के रुप में भी महसूस नहीं कर पाती हैं.
गुलामी अलग-अलग चेहरों और नामों के साथ दुनिया भर में मौजूद है. माना जाता है कि आज भी 40 मिलियन से अधिक लोग विश्वभर में गुलामी का सामना कर रहे हैं. जिन्हेंजबरदस्ती ख़रीदकरया शक्ति का दुरुपयोग कर गुलामी करने को मजबूर किया जाता है. अंतरराष्ट्रीय गुलामी उन्मूलन दिवस का मुख्य उद्देश्य है- गुलामी को मानवाधिकारों के खिलाफ अपराध के रूप में प्रकट करना और लोगों को इस अनैतिक प्रथा के खिलाफ जागरूक करना. इस तरह ‘2 दिसम्बर’ गुलामी के खिलाफ संघर्ष का एक महत्वपूर्ण दिन है.गुलामी के खिलाफ इस संकल्प अभियान में ग्रमिण महिलाओं ने अपनी सहभागिता करने के साथ ही इस बात पर सहमती जताई कि हमारे सामाजिक संबंधों को सुधारने के लिए हमें मिलकर कदम उठाना होगा, ताकि हर व्यक्ति को गुलामी से मुक्ति के साथ ही न्याय और स्वतंत्रता मिल सके.
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